कविता पर्वत प्रदेश में पावस की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए
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फड़का अपार पारद के पर! रव-शेष रह गए हैं निर्झर! है टूट पड़ा भू पर अंबर! पर्वत प्रदेश में पावस भावार्थ : अचानक बदलते इस मौसम में जब आकाश में बादल छा जाते हैं, तो पर्वत भी ढक जाता है।
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