कविता पढ़िए
रिमझिम-रिमझिम क्या कुछ कहते बूँदों के स्वर, रोम सिहर उठते छूते वे भीतर अंतर। धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर, रज के कण-कण में तृण-तृण को पुलकावलि थर।।
1.बूंदों के स्वर क्या कहते हैं?
2.रोम कब सिहर उठते है?
3. धरती पर क्या बहती हैं?
4.रज के कण-कण में क्या है?
5. तृण-तृण को क्या पुलकित करती हैं?
6. हमारे मन को क्या खुश करते हैं?
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1. बूंदो के स्वर रिमझिम रिमझिम कहते हैं|. 2. जब वो भीतर अंतर छूते हैं| 3.धाराओं पर धाराएॅ धरती पर बहती है|. . 4.रज के कण कण में तॄण है|. 5.पुलकावलि थर|. 6. बूंदो के स्वर|
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