कवित्री के अनुसार खाने और न खाने से क्या संभावना हो सकती है
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¿ कवयित्री के अनुसार खाने और न खाने से क्या संभावना हो सकती है ?
✎... कवयित्री के अनुसार खाने से मनुष्य कुछ पायेगा नहीं और ना खाने से अहंकारी बनेगा। खाने से तात्पर्य भोगों का अत्याधिक उपयोग करने से है, यदि लोगों का अत्याधिक उपयोग करेगा, तो वह ईश्वर को नहीं पा सकता और ना खाने से तात्पर्य त्याग करने से है। यदि वह आवश्यकता से अधिक त्याग करेगा तो उसमें अहंकार की भावना आएगी, अहंकारी व्यक्ति कभी ईश्वर को नहीं पा सकता। इसके लिए कवियत्री के अनुसार दोनों में संतुलन बनाकर रखने से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है।
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