कवित्री के मन में बार-बार रुक क्यों उठ रही है क्षितिज क्लास 9 वाख
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कवयित्री के मन में बार-बार एक ही पीड़ा उठती है कि कब यह नश्वर संसार छोड़कर प्रभु के पास पहुँच जाए और सांसारिक कष्टों से मुक्ति पा सके।
जी में उठती रह रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे॥
कवयित्री उम्मीद लगाती है कि कभी तो भगवान उनकी पुकार सुनेंगे और उसे भवसागर से पार लगायेंगे। उसके दिल में भगवान के नजदीक पहुँचने की इच्छा बार बार उठ रही है।
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