Hindi, asked by krishmandal, 10 months ago

कवित्री के मन में क्या हुक उठती है​

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Answered by Suhana3137
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Answer:जी में उठती रह रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे॥ इस कविता में रोजमर्रा की ... लेकिन इसमें भक्ति भावना के कारण कवयित्री ने अपनी रस्सी को कच्चे धागे का बताया है। भक्त के सारे प्रयास वैसे ही ... माझी को दूँ, क्या उतराई। किसी का जब इस संसार में जन्म

Answered by franktheruler
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कवियित्री के मन में क्या हुक उठती है ?

कवियित्री के मन में बार बार यह हुक उठती है कि उसे घर जाना है अर्थात प्रभु से मिलना है

  • कवियित्री प्रभु से मिलने के लिए तड़प रही है , वह कह रही है कि हमने जीवन में केवल बाहरी साधन अपनाए है जबकि परम पिता परमात्मा से मिलने का एक ही रास्ता है अपनी इन्द्रियों को वश में करना।
  • वे आगे समझाती है कि उस राह को छोड़कर हम कुछ भी करेंगे तो वो व्यर्थ है।
  • वे कहती है कि जीवन रूपी इस नाव को हम एक कच्चे धागे से खींच रहे है। कच्चे धागे से उनका आशय सांसों से है।

#SPJ3

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