Hindi, asked by singhparvinder21946, 27 days ago

कवित्री क्या प्रयास कर रही है वे किस तरह व्यर्थ हो रहे हैं?​

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Answered by pandeydevannshi
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Answer:

कवयित्री के कच्चेपन के कारण उसके मुक्ति के सारे प्रयास विफल हो रहे हैं अर्थात् वह इस संसारिकता तथा मोह के बंधनों से मुक्त नहीं हो पा रही है ऐसे में वह प्रभु भक्ति सच्चे मन से नहीं कर पा रहीं है। उसमें अभी पूर्ण रुप से प्रौढ़ता नहीं आई है क्योंकि इस संसारिकता तथा मोह के बंधनों से मुक्त नहीं हो पा रही है ऐसे में वह प्रभु भक्ति सच्चे मन से नहीं कर पा रहीं है।कवयित्री के प्रयास ऐसे ही हैं ,जैसे कोई मिट्टी के कच्चे सकोरे में पानी भरने की कोशिश कर रहा हो। ऐसे में पानी जगह से जगह से रिसने लगता है और सकोरा भर नहीं पाता है। कवयित्री को लगता है कि भक्त के प्रयास निरर्थक साबित हो रहे हैं।

Explanation:

कवयित्री इस संसार में उपस्थित लोभ, मोह-माया आदि से मुक्त नहीं हो पा रही है। वह प्रभु भक्ति के सहारे इस भवसागर को ,पार करना चाहती है। उसकी साँसों की डोर अत्यंत कमजोर है, इसलिए कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए गए सारे प्रयास विफल हो रहे हैं।

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