कवित्री ने प्रभु की प्राप्ति में कौन-कौन सी बाधाओं का वर्णन किया है
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जेब टटोली कौड़ी न पाई' के माध्यम से कवयित्री यह कहना चाहती है कि हठयोग, आडंबर, भक्ति का दिखावा आदि के माध्यम से प्रभु को प्राप्त करने का प्रयास असफल ही होता है। इस तरह का प्रयास भले ही आजीवन किया जाए पर उसके हाथ भक्ति के नाम कुछ नहीं लगता है।
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कवित्री ने प्रभु की प्राप्ति में कौन-कौन सी बाधाओं का वर्णन किया है
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जेब टटोली कौड़ी न पाई' के माध्यम से कवयित्री यह कहना चाहती है कि हठयोग, आडंबर, भक्ति का दिखावा आदि के माध्यम से प्रभु को प्राप्त करने का प्रयास असफल ही होता है। इस तरह का प्रयास भले ही आजीवन किया जाए पर उसके हाथ भक्ति के नाम कुछ नहीं लगता है।
परमात्मा को पाने के प्रति मन का शंकाग्रस्त रहना। अत्यधिक भोग में लिप्त रहना या भोग से पूरी तरह दूर होकर वैरागी बन जाना। मन में अभिमान आ जाना। सहज साधना का मार्ग त्यागकर हठयोग आदि का सहारा लेना।
कवयित्री के दिल में परमात्मा से मिलने की हूक अर्थात् तड़प उठती है, क्योंकि उसके लिए अर्थात् मनुष्य की आत्मा के लिए यह भवसागर या संसार तो पराया घर है और परमात्मा का घर उसका अपना घर है। इसलिए आत्मा दिन-रात परमात्मा से मिलने के लिए तड़पती रहती है।
कवित्री ने प्रभु की प्राप्ति में कौन-कौन सी बाधाओं का वर्णन किया है
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