कवित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास भी अर्थ क्यों हो रहे हैं
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कवयित्री देखती है कि दिन बीतते जाने और अंत समय निकट आने के बाद भी परमात्मा से उसका मेल नहीं हो पाया है। ऐसे में उसे लगता है कि उसकी साधना एवं प्रयास व्यर्थ हुई जा रही है।
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