कविता
८. श्र- वंदना poem
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प्रातःस्मरणीय उत्तरादीमठाधीश श्री श्री १००८ श्री सत्यपरायण तीर्थ श्रीपाद प्रतिष्ठापित श्री संजीवराया मुख्यप्राण देव लिंगमपल्ली श्री उत्तरादिमठ कचिगुडा हैदराबाद ह्यांच्या श्री चरणी ही माझी तुच्छ कविता समर्पित करीत आहे।
श्री संजीवराया मुख्यप्राण हनुमंत मारुती माझ्या सर्व बंधू मित्र बांधवां वर अनुग्रह आशीर्वाद करोनि ज्ञान भक्ति वैराग्या ची अभिवृद्धि करावी असे श्रद्धा पूर्वक प्रार्थना करीत आहे।
श्री हनुमंता (माझी ८वि कविता)
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जय वायु हनुमंता जय भीम बलवंता
दुष्टजन कुलहन्ता भारतिरमण कांता
जय चिरंजीवा वायुसुत गुणवंता
जय अंजनीपुत्रा कपि श्रेष्टवंता
लंकापूरि भस्मांता माहा शक्तिमंता
सीता शोक हरता श्री राम भक्ता
जय जय महावीरा जय धैर्यवंता
वायु जिवोत्तमा भाष्य रचयित्रा
जय अंजनेया लक्ष्मण प्राणदाता
विद्या समुद्रा जय जय जय धीमंता
हनुम भीम मध्व त्रय अवतार कर्ता
मध्व मुनि यति श्रेष्ठा अद्वैत मत हन्ता
बाळकृष्ण दास प्रार्थितो हे राम भक्ता
हरिनाम सदा राहो मस्तकी मम चित्ता
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