६) कवितेतील शब्दांचा अर्थ
(i) बाळू
(iii) सर्वे
(v) दास
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'शूद्र वर्ण'। इस शूद्र शब्द को ही इतिहास को बिगाड़ने वालों ने क्षुद्र, दास, अनार्य में वर्णित किया। वेदों में सबसे बाद में अथर्ववेद लिखा गया जिसमें समाज के ऊंच-नीच की चर्चा मिलती है लेकिन शूद्र शब्द की चर्चा नहीं मिलती। वैदिककाल के अंत के बाद यह शब्द अस्तित्व में आया। वास्तविकता यह है कि आर्थिक तथा सामाजिक विषमताओं के कारण आर्य और आर्येतर दोनों के अंदर श्रमिक समुदाय का उदय हुआ और ये श्रमिक आगे जाकर शूद्र कहलाए। बाद में इन्हें ही क्षुद्र कहा जाने लगा, इन्हें ही अछूत और इन्हें ही दास भी। हालांकि कुछ लोग क्षुद्र का अर्थ छोटा, अछूत का अर्थ जिसे छूना नहीं और दास का अर्थ गुलाम निकालते हैं। लेकिन यदि आपको समाज का विभाजन करना है तो शूद्र का अर्थ आप मनमाने तरीके से नीच भी कर सकते हैं।
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