कविता ' तुम्हीं मिटाओ मेरी उलझन ' का मूलभाव अपने शब्दों में लिखें ।
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भाव
माँ की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। ब्रह्मा तो केवल सृष्टि के रचियता हैं ,जबकि माँ बालक की रचना के साथ साथ उसका पालन पोषण भी करती है। शिव संहार करते हैं ,जबकि माँ केवल पीड़ा को ही समाप्त करती है। बुद्ध प्राणी प्रेम के बिना अधूरे है ,देवताओं को भक्ति चाहिए।
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