कवियत्री ने किस संदर्भ में कहा कि उसने अपने जीवन को निरर्थक गवा दिया?
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कवयित्री के पास माझी अर्थात् परमात्मा को उतराई पर देने के लायक कुछ भी नहीं है। उसे जिस सहज-साधना की आवश्यकता थी, कवयित्री ललद्यद उससे वंचित हैं। वे तो भ्रामक साधनों द्वारा ईश्वर को प्राप्त करने का प्रयास करती रहीं और जीवन निरर्थक गँवा दिया।
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कवयित्री के पास माझी अर्थात् परमात्मा को उतराई पर देने के लायक कुछ भी नहीं है। उसे जिस सहज-साधना की आवश्यकता थी, कवयित्री ललद्यद उससे वंचित हैं। वे तो भ्रामक साधनों द्वारा ईश्वर को प्राप्त करने का प्रयास करती रहीं और जीवन निरर्थक गँवा दिया।
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