कवपलिस्तु में शुद्धोदन नाम के एक राजा राज करते थे । उनके पुत्र का नाम लसद्धाथव था। उसका एक भाई भी था,क्जसका नाम देिदत्त था । दोनों के स्िभाि में ज़मीन आसमान का अंतर था। लसद्धाथव अत्यंत उदार तथा दयालु था,जबकी देिदत्त अत्यंत क्रूर तथा क्रोधी ।एक ददन िे दोनों बगीचे में खेल रहे थे । तभी आसमान में उड़ता हुआ एक हंस ददखाई ददया। देिदत्त ने अपने धनुष से उस पर तनशाना लगाया । हंस घायल होकर गगर पड़ा ।घायल हंस को लसद्धाथव ने उठा ललया । उसने उसके शरीर से तीर तनकाला और घाि पर मरहम पट्टी की । तभी देिदत्त उसके पास आया और हंस मागने लगा । िह बोला “मैंने उसे तीर से मार गगराया है,अतः यह हंस मेरा है” । उसकी बात सुनकर लसद्धाथव ने उत्तर ददया “यह मेरा है,तयोंकक मैंने इसे बचाया है” ।
इस गदयांश के लिए उचित शीर्वक दीक्जए ?
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iulyxhydtitiyixyiyixyodyiitiyiyouououiyuoyi
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परोपकार कयोकि उस ने उस हस को बचाया
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