Hindi, asked by aagamjain282828, 6 months ago

कवयिञी ललद्यत की 'वाख' कविता मे वर्णित प्रभु प्राप्ति मे बाधाओ को अपने शब्दो मे लिखिए​

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Answered by Anonymous
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Explanation:

कवयित्री ललद्यद ने अपने वाख के माध्यम से यह कहने का बल दिया है कि मनुष्य को धार्मिक संकीर्णताओं से ऊपर उठकर प्रभु भक्ति करनी चाहिए। कबीर दास जी की तरह ही उन्होंने बाह्याडंबरों तथा बाहरी दिखावे की भक्ति छोड़कर सच्ची भक्ति करने के लिए प्रेरित किया है। कवयित्री का मानना है कि मोह-माया के बंधन को छोड़े बिना ईश्वर तक पहुंचना असंभव है। इस संसार में सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं, फिर आपस में ऊँच-नीच की भावना कितना उचित है? ईश्वर तो कण-कण में है, वह हर प्राणी के अंदर वास करते है। उसे पहचानने के लिए आत्मज्ञान होना आवश्यक है।

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