कवयित्री को अपना बचपन क्यों याद आ रहा है?
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बचपन से कवयित्री की अनेक मधुर स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं। उसी के शब्दों में, बचपन उसके जीवन की सबसे अधिक मस्ती भरी खुशी ले गया है। बचपन में कवयित्री चिंतारहित होकर खेला करती और मनचाही वस्तुएँ खाया करती थी, उसे किसी प्रकार भय नहीं था। ... इसी कारण कवयित्री को अपने बचपन की मधुर यादें बार-बार आया करती थीं।
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