Hindi, asked by Brainly029, 9 months ago

कवयित्री ललद्यद के अनुसार किस द्वार की साँकल बंद है?

Answers

Answered by akashdubeypandey
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कवित्री कहती हैं कि मनुष्य को भोग विलास और त्याग के बीच में संतुलन बनाना चाहिए। वह कहती हैं कि हमें भोग विलास भी नहीं करना चाहिए, तथा त्याग भी नहीं करना चाहिए, हमें इन दोनों के मध्य धारा में रहना चाहिए। वह यह भी कहती हैं कि इंसान को प्रभु की भक्ति लीन हो जाना चाहिए। भगवानी ऐसे रास्ता है जो मनुष्य को मोक्ष दिला सकता है।

Answered by niishaa
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Answer:

कवयित्री के अनुसार ईश्वर को अपने अन्त:करण में खोजना चाहिए। जिस दिन मनुष्य के हृदय में ईश्वर भक्ति जागृत हो गई अज्ञानता के सारे अंधकार स्वयं ही समाप्त हो जाएँगे। जो दिमाग इन सांसारिक भोगों को भोगने का आदी हो गया है और इसी कारण उसने ईश्वर से खुद को विमुख कर लिया है, प्रभु को अपने हृदय में पाकर स्वत: ही ये साँकल (जंजीरे) खुल जाएँगी और प्रभु के लिए द्वार के सारे रास्ते मिल जाएँगे। इसलिए सच्चे मन से प्रभु की साधना करो, अपने अन्त:करण व बाह्य इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर हृदय में प्रभु का जाप करो, सुख व दुख को समान भाव से भोगों। यही उपाय कवियत्री ने सुझाए हैं।

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