कवयित्री ललद्यद के अनुसार 'उतराई' देने का क्या आशय है?
(a)संसार रूपी भवसागर को पार कराने के लिए शुल्क
(b)आसमान से नीचे की दिशा
(c)पुराने वस्त्रों को धारण करन
(d)धारा की दिशा की ओर बढ़ना
Answers
सही उत्तर है, विकल्प...
(a) संसार रूपी भवसागर को पार कराने के लिए शुल्क
व्याख्या:
कवयित्री ललद्यद के अनुसार ‘उत्तरराई’ देने का आशय ईश्वर द्वारा संसार रूपी भवसागर को पार करा देने के बाद बदले में दिया जाने वाला शुल्क है।
यहाँ कवयित्री ने प्रतीक स्वरूप ईश्वर को माझी यानि नाविक माना है, जिस तरह माझी यानि नाविक अपनी नाव में नदी को पार कराता है, उसे बदले में पार कराने का शुल्क देना पड़ता है, उसी प्रकार ईश्वर रूपी ने माझी ने संसार रूपी भवसागर को पार तो करा दिया है, लेकिन कवयित्री के पास ईश्वर को देने के लिये ‘उत्तराई’ नही है।
कवयित्री कहती है कि मांझी ने उसे भवसागर तो पार करा दिया. लेकिन उसके पास देने के लिए कुछ नहीं है, क्योंकि उसने अपना पूरा जीवन व्यर्थ के आडंबर व दिखावों में व्यतीत कर दिया। जबकि ईश्वर को केवल स्वच्छ और निर्मल मन तथा सच्ची श्रद्धा चाहिए थी।
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Explanation:
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