कवयित्रीने शैशव प्रभात में क्या देखा?
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कवयित्री कहती है- मैंने शैशव में सुन्दर प्रभात का विकास देखा है, यौवन की मादकता में यौवन का उल्लास देखा है। संसार की जूझती समस्याओं में (झंझा के झोंकों में) आशा-रूपी लतिका का विकास देखा है। प्रेम की आकांक्षा और उत्साह में क्रमिक विकास देखा है।
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