Kavi ishwar se kya prathna krta h of kavita path mera alaokit kr do
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हम अपनी मेहनत और दिमाग से काबिल तो बन जाते हैं लेकिन कभी-कभी कुछ मौकों पर हमारी काबिलियत भी हमारे काम नहीं आ पाती. ये ऐसे मौके होते हैं जब कुछ घटनाओँ पर हमारा ज़ोर नहीं चलता. इसी को हम अपनी जबान में बुरा दौर कहते हैं और इंसान की फितरत ही ऐसी है कि बुरे दौर में ही उसे ईश्वर की याद आती है. तब वह उनकी शरण जाकर उनसे अपनी कामनापूर्ति की प्रार्थना करने लगता है.
लेकिन एक बात आपने ज़रूर मानेंगे कि ईश्वर सभी की प्रार्थना भी नहीं सुनता. अगर आप चाहते हैं कि आपकी पुकार भगवान तक पहुंचे तो आपको प्रार्थना करने के सही तरीके के बारे में पता होना चाहिए.
प्रार्थना का अर्थ
ईश्वर से अपने दिल की बात कहना ही प्रार्थना है. इससे व्यक्ति अपने या दूसरों की इच्छापूर्ति का प्रयास करता है. वैसे, तंत्र, मंत्र, ध्यान और जाप भी प्रार्थना का ही एक रूप है. प्रार्थना छोटे स्तर पर काम करती है और इसकी वजह से प्रकृति में आपके अनुरूप बदलाव आते हैं .
कोई प्रार्थना एक साथ कई लोग करें तो वह ज्यादा प्रभावशाली होती है. एक साथ प्रार्थना करने पर प्रकृति में तेजी से बदलाव होता है.
Answer:-
कारकविभक्तिः - कारकद्वारा प्रयुक्तविभक्ति: करविभक्तिः भवति। यथा-वाल्छ:।विद्यालयं गच्छति। अत्र बालक: इत्यत्र कर्तृकारकमिति प्रथमा विभ: विद्यालय इत्यत्र कर्मकारकमिति द्वितीया विभक्तिः।
उपपदविभक्तिः - पदम् आश्रित्य या विभक्ति: सा उपपद-विभक्ति: यथा-गुरवे नम:।अत्र ‘नमः' इति पदव्य प्रयोगण चतुर्थी विभक्ति:।
Example:-
अभितः- ग्रामम् अभितः पर्वता: सन्ति।
परितः- ग्रामं परित: उद्यानम् अति।