kavi ka brij ke van , bag aur talab ko niharane ke peeche kya karan hai
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कवि का बृजभूमि के प्रति अनन्य प्रेम है। कवि श्री कृष्ण और उनसे जुडी किसी भी चीज़ या वस्तु से दूर नहीं रहना चाहता है। कवि चाहता है कि वह बृजभूमि का ही अंश बन जाए जैसे वह श्री कृष्ण को महसूस कर सके। बृजभूमि श्री कृष्ण भगवान् की लीलाओं की भूमि है। बृज के तालाब, वन और बगीचे में श्री कृष्ण भगवान् अपना बहुत समय व्यतीत किया करते थे। श्री कृष्ण ब्रज के वन में अपनी गायों को चराने ले जाया करते थे। ब्रज के तालाब में पक्षियों को दाना डाला करते थे। ब्रज के बग़ीचे में श्री कृष्ण गोपियों के साथ रास रचाया करते थे। ब्रजभूमि के कण-कण में श्री कृष्ण समाये हुए हैं इसलिए कवि बृजभूमि के तालाब, बग़ीचे और वन के सौंदर्य को जीवन पर्यन्त निहारना चाहता है और मन-मुग्ध होना चाहता है।
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