Kavi Kaun-sa bhar dhone ki baat kar rahe hai? Jagran geet poem by sohanlal diwedi
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नई दिल्ली [सुधीर कुमार पांडेय]। 'लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती' ये पंक्तियां निराशा के घने अंधकार से निकालकर कर्मपथ की ओर ले जाती हैं। अक्सर लोग जब असफलता से निराश होते हैं तो बड़े बुजुर्ग उनसे प्रयास नहीं छोड़ने की बात कहते हैं। ये न केवल विद्यार्थियों पर बल्कि हर व्यक्ति पर लागू होती हैं। आप जानते हैं, ये पंक्तियां किसकी हैं। ये पंक्तियां हैं राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी की। वही सोहनलाल द्विवेदी जी, जिन्होंने महात्मा गांधी के बारे में लिखा था- चल पड़े जिधर दो डग मग में, चल पड़े कोटि पग उसी ओर।
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