Kavi ke anusaar jeevan ka Arth kya hai
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जीवन का अर्थ और उद्देश्य
इस संसार में अनेक प्रकार के लोग हैं जो अमनी जिंदगी अपने सोच के आधार पर जी रहे हैं ! हर कोई जिंदगी के दौड़ में सामिल है ! एक दुसरे को पछाड़ना ही जिंदगी का मक़सद बन गया है ! आज किसी के पास वक़्त नहीं है ! अपनों के लिए भी नहीं ! सब जिंदगी जी रहे हैं , लेकिन कहीं सुकून नहीं कहीं शान्ति नहीं ! परमात्मा के बारे में जानने का बात तो दूर , आज कल तो परमात्मा भी शक के दायरे में है ! परमात्मा एक से कई बन गए हैं ! अब तो इस बात पर लड़ाई होती है कौनसा परमात्मा श्रेष्ठ है?
क्या यही है जीवन ? जन्म से मृत्यु तक हमें सिर्फ संघर्ष करना चाहिए ? क्या है जीवन का अर्थ और उद्देश्य ?
शांत और सुकूनभरा जिंदगी के लिए हमें क्या करना चाहिए ? नीचे दिए गए पंक्तियाँ में एक पागल के मुँह से सुना था !
इस तरह न कमाओ कि पाप हो जाये
इस तरह न खर्च करो कि क़र्ज़ हो जाये
इस तरह न खाओ कि मर्ज़ हो जाये
इस तरह न बोलो कि क्लेश हो जाये
इस तरह न चलो के देर हो जाये
इस तरह न सोचो कि चिंता हो जाये
लेकिन आजकल मनुष्य इसका बिपरीत करता है ! कभी कभी में सोचता हूँ पागल कौन है ?
मनुस्य कि जिंदगी एक अहम् बरदान है ! यह एक अमूल्य अवसर है परमात्मा के बारे में जानने का ! यह अवसर को गवाना सब से भारी नुक्सान है !
मनुष्य के जीवन का अर्थपूर्ण होगा अगर वह किसी दुसरे के काम आया ! मनुष्य जीवन का उद्देश्य परमात्मा के बारे में जानना है , अर्थात मोक्ष !
परमात्मा के बारे में जानने के लिए मनुष्य के मन में सब से पहले बलवती इच्छा होनी चाहिए ! वह इच्छा तब तक नहीं आयेगा जब तक मनुष्य का ह्रदय पवित्र नहीं होगा ! दूसरों कि सेवा से ह्रदय पवित्र होता है ! अपने लिए तो हर कोई जीता है लेकिन जो दूसरों के लिए भी जीता है उसको हमेशा याद किया जाता है !
खाने के लिए दो वक़्त कि रोटी तन के लिए जरूरी कपडे और रहने के लिए एक मकान मनुष्य का न्यूनतम आवश्यकता है ! जिनको यह नसीब नहीं वह मदद के तलबगार हैं , और जिनके पास इससे ज्यादा है उन्हें मदद करना चाहिए !
स्वामी शिवानन्दा कहते हैं "दो और ज्यादा दो, तुम्हारा तिजोरी कभी भी खली नहीं होगा".!
दान एक ह्रदय को पवित्र करनेवाला क्रिया है ! जो दिया वो जीया !
इंसान को नमक कि तरह होना चाहिए, जो खाने में रहता है तो दिखाई नहीं देता और अगर न हो तो उसकी कमी महसूस होता !
मनुष्य के जिंदगी का अर्थ तब पूरा होगा जब वह किसी और के काम आया !
मनुष्य के जिंदगीं का उद्देस्य परमात्मा को जानना है ! इस मक़सद के लिए इंसान को कोशिश करनी चाहिए !
इसमें अनेक बाधाएं आएंगी ! लेकिन लगातार कोशिश ही सफलता लाती है ! धीरे धीरे बहती हुई एक धारा पत्थर में छेद कर देती है ! निरंतर प्रयास होना चाहिए ! किसी मक़सद के लिए खड़े हो तो पेड़ कि तरह खड़े रहो ! और गिरना है तो गिरो बीज कि तरह ताकि दोबारा उग सको उस मक़सद को पूरा करने के लिए ! गिरने से हार नहीं होती , हार तब होती है जब और कोशिश नहीं होती !
इस अनमोल मनुष्य जीवन को सही मार्ग में लगा कर परमात्मा को जानना ही हमारा ध्येय हिना चाहिए ! यह मुस्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं !
हम अगर वह करेंगे जो हम करते हुए आये हैं तो हमें वही मिलेगा जो हमें हमेशा मिलता आया हैं ! परमात्मा को पाने के लिए हमें कुछ और करना चाहिए !
अपने जीवन में संस्कार लाना है , फिर श्रृंखला लाना है , फिर नमक कि तरह जीना है और प्रभु को पाना है !
जीवन का अर्थ और उद्देश्य दोनों पूरा हो जायेगा !
जीवन का उद्देश्य को हासिल करने के लिए जीवन का अर्थ पूरा हिना चाहिए !
इसीलिए हमें सब से पेहेले एक अच्छा इंसान बनना चाहिए !
please mark it as a brainlist answer.... please.