Kavi raskhan ka Jivan Parichay
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हिंदी साहित्य और ब्रज भाषा प्रेमी कृष्णभक्त मुस्लिम कवि रसखान का जन्म सन् 1548 ई. में हुआ था, उनका असली नाम सैयद इब्राहिम था। विद्वानों में इनके जीवन काल को लेकर मतभेद है, लेकिन रसखान द्वारा रचित ग्रन्थ ‘प्रेमवाटिका‘ से प्राप्त संतेतानुसार इनका जन्म दिल्ली राजवंश में हुआ था। रसखान कृष्णभक्त थे, इन्होने अपना सारा जीवन गोकुल की गलियों में भजन-कीर्तन में गुजार दिया।
इनके कृष्णभक्ति से प्रभावित होकर गोस्वामी बिट्ठलदास जी ने इन्हें अपना शिष्य बना लिया और बल्लभ संप्रदाय के अंतर्गत पुष्टि मार्ग की दीक्षा प्रदान की। वैष्णव धर्म में दीक्षा लेने के बाद इनका लौकिक प्रेम अलौकिक प्रेम में बदल गया। इनका अधिकांश जीवन ब्रजभूमि पर व्यतीत हुआ, भगवान श्री कृष्ण के प्रति इनका अलौकिक प्रेम इन्हें उनका अनन्य भक्त बनाता हैं। 1614 ई. इनके अंतिम काव्य-कृति ‘प्रेमवाटिका’ का उल्लेख मिलता है और इसी के कुछ वर्ष बाद लगभग 1628 ई. में इनकी मृत्यु वृन्दावन में हुई थी।
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