Kavi vrind ke anusar bhale bure ki pahchan kab hoti hai
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Explanation:
हिन्दी साहित्य के रीतकालीन कवियों में वृन्द जी का महत्वपूर्ण स्थान है। वृन्द जी ने अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से लोगों के दिल में अपनी एक अलग छाप छोड़ी है।
वृन्द जी ने अपने इस दोहे के माध्यम से लोगों को जिंदगी जीने का तरीका सिखाया है कि मनुष्य को किस तरह से अपनी जिंदगी व्यतीत करनी चाहिए और किस तरह से मनुष्य का जीवन सुखमय होता है और इंसान खुशीपूर्वक किस तरह अपनी जिंदगी गुजार सकता है इस तरह की बातें वृन्द जी ने अपने दोहे के माध्यम से बताने की कोशिश की हैं।

वृन्द जी के दोहे – Vrind ke Dohe
वहीं वृन्द जी ने अपने दोहों के माध्यम से लोगों को सच्चाई के मार्ग पर चलने की सीख दी है, इसके साथ ही लोगों को मिलजुल कर रहने की भी सीख दी है।
वृन्द जी जानकारी – Vrindavan Das Information
आपको बता दें कि वृंद का जी का जन्म 1643 ईसवी में राजस्थान के जोधपुर जिले के मेड़ता नामक गांव में हुआ था। इनका पूरा नाम वृन्दावनदास था। वृन्द जी की माता का नाम कौशल्या था और पत्नी का नाम नवंरगदे था।
महज 10 साल की उम्र में वृन्द जी काशी आए थे और यहीं पर इन्होंने तारा जी नाम के एक पंडित से साहित्य, दर्शन की शिक्षा प्राप्त की थी। इसके साथ ही वृन्द जी को व्याकरण, साहित्य, वेदांत, गणित आदि का ज्ञान प्राप्त किया और काव्य रचना सीखी।
वृन्द जी ने अपनी रचनाएं सरल, सुगम, मधुर और आसान भाषा में लिखी हैं। वृन्द जी कविता करने का शौक, अपने पिता से आया। इनके पिता भी कविता लिखा करते थे। हिन्दी साहित्य के महान कवि वृन्द जी मुगल सम्राट औरंगजेब के दरबारी कवि भी थे।
वृन्द जी पहले अन्य कविता सम्मेलन में जाया करते थे और अपनी कविताएं प्रस्तुत करते थे। ये अपनी कविताएं बड़े सुंदर ढंग से प्रस्तुत करते थे। इनकी कविताओं को सुन सभा में बैठा हर व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो जाया करता था।
वहीं वृन्द जी को उनकी कविताओं के लिए कई बार कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया। जिसके चलते इनका मनोबल बढ़ता चला गया और यह एक प्रमुख कवि के रूप में पहचाने जाने लगे।
आपको बता दें कि वृन्द जी के नीति विषयक दोहे बहुत सुंदर हैं और काफी मशहूर भी हैं। वृन्द जी की रचनाएं भी काफी प्रसिद्ध हैं। इनकी प्रमुख रचनाओं में ‘वृंद-सतसई, ‘पवन-पचीसी, ‘श्रंगार-शिक्षा, अलंकार सतसई, भाव पंचाशिका, रुपक वचनिका, सत्य स्वरूप और ‘हितोपदेश मुख्य हैं।
‘वृंद-सतसई कवि वृन्द जी की सबसे प्रसद्धि रचनाओं में से एक है जो नीति साहित्य का श्रंगार है। जिसमें 700 दोहे हैं, इसकी भाषा अत्यंत सरल और सुगम है जो कि आसानी से समझी जा सकती है। इन्होंने अपनी रचनाओं में कहावतों और मुहावरों का भी सुंदर ढंग से इस्तेमाल किया है।
आपको बता दें कि कवि वृन्द जी मुख्य रूप से उनकी नीति-काव्य के लिए काफी मशहूर हैं। वहीं वृन्द जी का दोहा छंद रचना में सूक्तियों को जोड़ना इनकी प्रमुखता है। कवि के नीति संबंधी दोहों ने काफी लोकप्रियता हासिल की है।
चलिए आज हम आपको कवि वृन्द जी की कुछ दोहे के बारे में जानकारी देंगे। कवि वृन्द जी ने अपने दोहों में नीति, अनुभव, संदेश और मानवीय मूल्यों का बेहद अच्छा चित्रण किया है। कवि वृन्द जी के दोहे इस तरह हैं।