kavita dopahri by shakunth mathur ka arth [ puri kavta ka arth]
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Answer:
तुम बताओगे मुझे
कविता का अर्थ
पूछा मतवाले बादल से
वो हवा के साथ
बह गया
पूछा हवा से तो
वो रेत के कणों
को तट के पास से
उठाने की कोशिश में
समुद्र में मिल कर
लहरों में समा गयी
समुद्र से पूछा
तो वो निहारने लगा
बर्फ भरी गगनचुम्बी
चोटियों को
उन पर्वतों से कैसे पूछूं
उनका हृदय सख्त था
जमी बर्फ को छूते हुए
चोटी पर पहुँचा
और गगन से पूछने लगा
तो गगन छिप गया
बादलों के पीछे
बादल तो मतवाले थे....
प्रश्न अनुत्तरित रह गया !
इतने में जागा नींद से
बच्चों के हाथों के स्पर्श से
और मैं जान गया
कविता की मासूमियत
कविता की कोमलता
कविता का भोलापन
जान गया कि
कविता शरारती है
लेकिन
सत्य भी तो यही है
कविता छू जाती है
सीधे मन को
उसका स्पर्श
ईश्वर सरीखा है
फिर भी
उसे आवश्यक है
एक सक्षम सहारा
हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है। Please mark the answer as the branliest
Explanation:
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Question:-
kavita dopahri by shakunth mathur ka arth [ puri kavta ka arth]
Answer:
तुम बताओगे मुझे
कविता का अर्थ
पूछा मतवाले बादल से
वो हवा के साथ
बह गया
पूछा हवा से तो
वो रेत के कणों
को तट के पास से
उठाने की कोशिश में
समुद्र में मिल कर
लहरों में समा गयी
समुद्र से पूछा
तो वो निहारने लगा
बर्फ भरी गगनचुम्बी
चोटियों को
उन पर्वतों से कैसे पूछूं
उनका हृदय सख्त था
जमी बर्फ को छूते हुए
चोटी पर पहुँचा
और गगन से पूछने लगा
तो गगन छिप गया
बादलों के पीछे
बादल तो मतवाले थे....
प्रश्न अनुत्तरित रह गया !
इतने में जागा नींद से
बच्चों के हाथों के स्पर्श से
और मैं जान गया
कविता की मासूमियत
कविता की कोमलता
कविता का भोलापन
जान गया कि
कविता शरारती है
लेकिन
सत्य भी तो यही है
कविता छू जाती है
सीधे मन को
उसका स्पर्श
ईश्वर सरीखा है
फिर भी
उसे आवश्यक है
एक सक्षम सहारा
हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
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