Kavita Mein Kavi Mein Aakash Mein Badal aur Gaon Mein mehmaan ke aane ka jo Rochak varnan kiya hai use likhiye
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कवि ने आकाश में बादल और गांव में दामाद आने का जो रोचक वर्णन प्रकट किया है वह अति स्वभाविक और प्रभावशाली है। नगर में रहने वाला कोई युवक जब दामाद के रूप में गांव में जाता है तो वह सज संवर कर बन ठन कर जाता है। बादल भी वैसे ही बड़े बन-ठन कर गांव पहुंचे। बालों ने आगे-आगे तो गति से बहती हवा चलती है और घरों की खिड़कियां दरवाजे स्वयं खुलने लगते हैं। दामाद के गांव में पहुंचते ही छोटे-छोटे बच्चे उन्हें पहचान कर नाचते कूदते उससे आगे -आगे भागते हुए उनके आगमन की पूर्व सूचना देने लगते हैं। गली मोहल्ले के लोग खिड़कियों दरवाजों से उत्सुकतापूर्वक उसकी झलक पाने की कोशिश करने लगते हैं। बादल आने पर पेड़ तेज़ हवा में झूमने लगते हैं, झुकने लगते हैं। आंधी चलने लगती है। दामाद के आने से गांव के लोग झुककर गर्दन उचका कर उसे देखने का प्रयत्न करते हैं। छोटी-छोटी लकड़ियां प्रसन्नता की अधिकता के कारण अपने कपड़े समेट घर की ओर दौड़ पड़ती हैं। युवा नारियां बांकी चितवन से घुंघट सरकाकर उधर देखने लगती हैं। जैसे ही बादल गांव में पहुंचता है वैसे ही पीपल का बूढ़ा पेड़ उसे आशीर्वाद देते और स्वागत करते हुए उससे कहता है कि पूरे 1 वर्ष बाद गांव में आए हो। दामाद से भी घर के बड़े बूढ़े देर से आने की प्रेम भरी शिकायत करते हैं और उसका स्वागत करते हैं। बादल आने पर आंगन में लगी बेल ओट में सरक जाती है तो दामाद के आने से लाज भरी प्रियतमा अकुलाकर दरवाजे की ओट में हो जाती है। घर का कोई सदस्य दामाद के पैर धोने के लिए परात में पानी भर लाता है। आकाश में छाए बादल बरसकर अपने आगमन का उद्देश्य पूरा कर देते हैं, तो मिलन की घड़ी में दमाद और प्रियतमा की आंखें भी रिमझिम बरसने लगती हैं।