kavita on aadhunik bharat
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बाबूजी अब 'डैड' बन गये...
बेटा अब 'ग्रेजुएट' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
इमली की चटनी 'सॉस' बन गयी,
बीवी घर की 'बॉस' बन गयी...
हर रिश्ता अब 'ट्रेड' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
पत्रकारिता 'बिजनेस' हो गयी,
खबरें भी 'शेमलेस' हो गयी...
दुराचारी अब 'हेड' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
संस्कृति अब 'कल्चर' हो गयी,
कानून व्यवस्था 'पंक्चर' हो गयी...
प्रधानमंत्री 'पपेट' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
दिल्ली 'रेप कैपिटल' हो गयी,
समाज की छवि 'डल' हो गयी...
यौन संबंध 'सब्जेक्ट' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
हिंदी अब 'गुमशुदा' हो गयी,
संस्कृत पुस्तक से 'जुदा' हो गयी...
इंगलिश 'कॉमन सब्जेक्ट' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
सन्यासी अब 'ढोंगी' हो गये,
नेता कुर्सी के 'रोगी' हो गये...
बस्ता अब 'टेबलेट' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
लता जी 'गुमनाम' हो गयी,
मुन्नी भी 'बदनाम' हो गयी...
भारत रत्न 'ऑब्जेक्ट' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया..
the above is the poem of adhunik bharat.
hope it helps. plz mark as brainliest
गदहों के पूरे ठाट हो गए
सत्ता के बंदरबांट हो गए
कुत्तों के भी मोल बढ़ गए, हम भी तो बड़बोल बन गए...
चापलूस अब यार हो गए
अच्छे दोस्त गद्दार हो गए
माता-पिता लाचार हो गए
जब गर्लफ्रेंड से प्यार हो गए
मेंढक के मीठे बोल हो गए, हम तो अब बड़बोल हो गए ...
अच्छे लोग अब सैड हो गए
घर में नौकर भी हैड हो गए
मेहनती लोग हुए नालायक
चोर लुटेरे बन गए नायक
दुनिया के अनोखे बोल हो गए,हम तो अब बड़बोल हो गए...
मीत हितैषी की सुने न कोई
कलियुग में उलटा सब होई
मजदूरो के तो कवाब हो गए
भिखमंगे नेता नवाब हो गए
गोविन्द भी तो बड़बोल हो गए, हम तो अब बड़बोल हो गए...
- गोविंद मौर्य