kavita on shiksha mai khel kud ka mahatav
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पढ़ लिखकर जब हो जाओ पस्त,
जाकर खेलो हो जाओ तुम मस्त।
खेल कूद से रहते हैं हम स्वस्थ,
करते हैं वे मन को आश्वस्त।
केवल पढ़ पढ़ कर हो जाते हैं हम बोर,
खेल कूद कर नाचते हैं मन के मोर।
स्वस्थ तन,
में रहता है स्वस्थ मन,
पढ़ाई के संग,
खेल कूद देते हैं नयी उंमग,
जीवन में आता है नया रंग,
जाते हैं हमारे सब काम बन।
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