kavita on varsha ritu in hindi
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वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।बाज भी बादलों के ऊपर उड़ान भरकर इतरा रहा है ।।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।बाज भी बादलों के ऊपर उड़ान भरकर इतरा रहा है ।।कल कल करती नदियां, इठलाती हुई बह रही है ।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।बाज भी बादलों के ऊपर उड़ान भरकर इतरा रहा है ।।कल कल करती नदियां, इठलाती हुई बह रही है ।मानो कोई नया संगीत सुना रही है ।।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।बाज भी बादलों के ऊपर उड़ान भरकर इतरा रहा है ।।कल कल करती नदियां, इठलाती हुई बह रही है ।मानो कोई नया संगीत सुना रही है ।।बागों में फूल खिल रहे, सुगंध मन को भा रही है ।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।बाज भी बादलों के ऊपर उड़ान भरकर इतरा रहा है ।।कल कल करती नदियां, इठलाती हुई बह रही है ।मानो कोई नया संगीत सुना रही है ।।बागों में फूल खिल रहे, सुगंध मन को भा रही है ।सावन में झूले पर झूल रही है बिटिया ।।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।बाज भी बादलों के ऊपर उड़ान भरकर इतरा रहा है ।।कल कल करती नदियां, इठलाती हुई बह रही है ।मानो कोई नया संगीत सुना रही है ।।बागों में फूल खिल रहे, सुगंध मन को भा रही है ।सावन में झूले पर झूल रही है बिटिया ।।वर्षा बहार भू पर जीवन की ज्योति जला रही है ।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।बाज भी बादलों के ऊपर उड़ान भरकर इतरा रहा है ।।कल कल करती नदियां, इठलाती हुई बह रही है ।मानो कोई नया संगीत सुना रही है ।।बागों में फूल खिल रहे, सुगंध मन को भा रही है ।सावन में झूले पर झूल रही है बिटिया ।।वर्षा बहार भू पर जीवन की ज्योति जला रही है ।वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।।
Explanation:
काली घटा छाई है
लेकर साथ अपने यह
ढेर सारी खुशियां लायी है
ठंडी ठंडी सी हव यह
बहती कहती चली आ रही है
काली घटा छाई है
कोई आज बरसों बाद खुश हुआ
तो कोई आज खुसी से पकवान बना रहा
बच्चों की टोली यह
कभी छत तो कभी गलियों में
किलकारियां सीटी लगा रहे
काली घटा छाई है
जो गिरी धरती पर पहली बूँद
देख ईसको किसान मुस्कराया
संग जग भी झूम रहा
जब चली हवाएँ और तेज
आंधी का यह रूप ले रही
लगता ऐसा कोई क्रांति अब सुरु हो रही
.
छुपा जो झूट अमीरों का
कहीं गली में गढ़ा तो कहीं
बड़ी बड़ी ईमारत यूँ ड़ह रही
अंकुर जो भूमि में सोये हुए थे
महसूस इस वातावरण को
वो भी अब फूटने लगे
देख बगीचे का माली यह
खुसी से झूम रहा
और कहता काली घटा छाई है
साथ अपने यह ढेर सारी खुशियां लायी है