kavita rachna m kin mehatavpurn baaton ka dhyaan rakhna chahiye
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कविता कहानी गद्य सब एक ही हैं,बस रूप का अंतर है। फार्मेट अलग अलग है।
मूल है वह बात जो आप कविता, कहानी या किसी भी विधा में कहना चाहते हैं।
बात महत्वपूर्ण होगी तो उसे आप कविता में रखें या कहानी में कहें उसे पढा जाएगा सराहा जाएगा।
जब आपके भीतर बात कहने का माददा आ जाएगा और यह, पढने लिखने दुनिया के अनुभव से आएगा तो आपकी बातों में दम पैदा होगा और लाेग आपकी कविता कहानी को सराहेंगे इसके बाद आपका ध्यान खुद उसकी भाषा पर जाएगा। तब धीरे धीरे आप भाषा के खेल को जानेंगे। उससे लोगों का ध्यान फिर आपकी ओर जाएगा।
कवियों के कवि शमशेर कहते हैं - बात बोलेगी हम नहीं भेद खोलेगी बात ही...
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