kaviyatri ke anusar khane aur na khane Se Kya Sambhavna ho sakti hai
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कवयित्री के अनुसार खाने से मनुष्य कुछ पायेगा नहीं और ना खाने से अहंकारी बनेगा। खाने से तात्पर्य भोगों का अत्याधिक उपयोग करने से है, यदि लोगों का अत्याधिक उपयोग करेगा, तो वह ईश्वर को नहीं पा सकता और ना खाने से तात्पर्य त्याग करने से है।
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