kaviyon ko Kavita sunane ki aadat ispar apne vichar
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कवियों को कविता सुनाने की आदत इस पर अपने विचार:
कवि अपनी भावनाओं को समझाने के लिए कविता लिखते है| कविओं की हर कविता में संदेश छिपा होता है | कविता के जरिए बहुत समझाते है|
कवियों को कविता सुनाने की आदत इसलिये होती है, क्योंकि वो अपने मन के भावों को कविता के माध्यम से उकेरते हैं। वह अपने उन भावों को दूसरों तक पहुँचाना चाहते हैं। इसलिये जब भी उन्हें मौका मिलता है, वो कविता का पाठ शुरु कर देते हैं।
एक कवि का हृदय बड़ा ही कोमल होता है, क्योंकि कवि एक कलाकार ही है, और हर कलाकार का मन कोमल होता है। कवि अपनी कल्पना के करने के मामले में अतिश्योक्तिपूर्ण रवैया अपनाते हैं, अर्थात उनकी कल्पानाओं की कोई सीमा नही होती। वे अपनी कल्पनाओं के सहारे नई-नई कवितायें रचते हैं और चाहते हैं कि दूसरे लोग भी उनके इस काल्पनिक संसार से अवगत हों इसलिये कवि लोग अपनी कविता दूसरों को सुनाना चाहते हैं, और उनको जहाँ-तहाँ कविता सुनाने की आदत होती है।
Answer:
कवि दो प्रकार के होते हैं। एक वे, जो सचमुच कवि होते हैं और अपने विचारों को मथकर उन्हें सुंदर और सुरुचिपूर्ण शब्दों के माध्यम से कागज पर उतारते हैं। उनकी कविता सुनकर श्रोता को आनंद के साथ-साथ एक दिशा भी मिलती है। दूसरे प्रकार के कवि वे होते हैं, जो अंत:करण से कवि नहीं होते। वे जबरन कवि बनकर कविता लिखना चाहते हैं। इनकी कविता कविता न होकर शब्दों का बेतरतीब समूह होती है। जोड़-तोड़कर कविता तैयार करते ही ये श्रोता की तलाश करने लगते हैं और जो भी सामने मिल जाता है, उसे अपनी कविता सुनाए बिना नहीं छोड़ते। इनकी कविता सुनने के लिए कोई आसानी से तैयार नहीं होता। पर विद्वान कवि कभी अपनी कविता सुनाने की कोशिश नहीं करते। उनकी कविता सारगर्भित होती है और वे हर किसी को कविता सुनाते नहीं फिरते।