kavya rachna ke sahayak tatva hai
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काव्य की शोभा बढाने वाले को। अचेतन अथवा मानवेतर जड़ प्रकृति पर मानव के गुणों एवं कार्य कलापों का आरोप कर उसे मानव सदृश्य सप्राण चित्रित किया जाता है। अमूर्त पदार्थ एवं भावों को मूर्त रूप दिया जाता है। जहां एक शब्द एक से अधिक बार आए और हर बार उसका अर्थ भिन्न हो।
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