kavyans ki bhasha ki do visestaye ka ulekh kijia
ठान
9. "मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो ना कोई
जा के सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई
छोड़ि दयी कुल की कानि, कहा करि हुँ कोई?
(संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक-लाज खोयी
अंसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेमि बेलि बोयी।"
(क) काव्यांश की भाषा की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ख) 'प्रेम-बोलि बोयी' में कोन-सा अलंकार है नाम लिखिते हुए अलंकार को स
(क) "घर की याद' कविता में कवि ने पिताजी के व्यक्तित्व की किन
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क. विशेषताएँ-
मीरा सगुण धारा की महत्वपूर्ण भक्त कवयित्री थीं। कृष्ण की उपासिका होने के कारण इनकी कविता में सगुण भक्ति मुख्य रूप से मौजूद है, लेकिन निर्गुण भक्ति का प्रभाव भी मिलता है। संत कवि रैदास उनके गुरु माने जाते हैं। इन्होंने लोकलाज और कुल की मर्यादा के नाम पर लगाए गए सामाजिक और वैचारिक बंधनों का हमेशा – विरोध किया। इन्होंने पर्दा प्रथा का पालन नहीं किया तथा मंदिर में सार्वजनिक रूप से नाचने-गाने में कभी हिचक महसूस नहीं की। मीरा सत्संग को ज्ञान प्राप्ति का माध्यम मानती थीं और ज्ञान को मुक्ति का साधन। निंदा से वे कभी विचलित नहीं हुई। वे उस युग के रूढ़िग्रस्त समाज में स्त्री-मुक्ति की आवाज बनकर उभरी।
ख. रूपक अलंकार है
जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।
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