Keval jaldi Badalti Pothi se Kavi Kya Kehna Chahta Hai
Answers
Answered by
1
Answer:
"खोता कुछ भी नहीं यहां पर , केवल जिल्द बदलती पोथी" का आशय है की मानव शरीर तो समय के साथ ढल जाता है लेकिन आत्मा सदैव अमर रहती है. इसलिए कवि कहते हैं कि "जिल्द बदलती पोथी" अर्थात आत्मा शरीर बदलती है। Explanation: प्रस्तुत पंक्तियाँ गोपालदास नीरज जी की उत्तम काव्य रचना "छिप-छिप अश्रु बहाने वालों" से गृहीत की गयीं हैं।
Similar questions