Kewal jild badlti pothi Se kya bhav niklta h
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भाव हैं कि इस दुनिया मे ओर कुछ नही होता बस जो समक्ष है वो बदलता रहता है
जिस प्रकार किताब की जिल्द बदलने से किताब नही बदलती उसी प्रकार आवरण बदलने पर जीवन नहीं बदलता
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