Hindi, asked by vijayasri2009, 5 hours ago

ख) आशय स्पष्ट कीजिए (कोई एक) 1. प्यार में हार भी जीत है, जीत भी हार है 2 "निर्धनता ऐसा अभिशाप है जो मनुष्य के विनाश का कारण बनता है​

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निर्धनता – एक अभिशाप

निर्धनता किसी भी समाज अथवा राष्ट्र के लिए एक अभिशाप है | निर्धन व्यकित के लिए साड़ी दुनिया सुनी रहती है | अत : निर्धनता को अनन्त दु:ख का प्रतीक मन जाता है | आज के इस भौतिक युग में जहाँ एक और लोगो के पास धन के भण्डार भरे पड़े है वहाँ निर्धन के पास इसका नितान्त आभाव रहता है |

कहने को तो लोग कहते हैं कि अमीर लोग चिन्ता मुक्त होते हैं । उन्हें धन , मकान , रोटी , कपड़े की चिन्ता नहीं होती । पर ऐसा नहीं वे रात को भी चिन्ता में डूबे रहते हैं जबकि निर्धन बेखोफ सड़क पर सोया होता है । सत्य यह है कि निर्धनता भरा जीवन नरक के समान दुःखदायी होता है ।

देश में इस घोर निर्धनता के अनेक कारण है – पहला कारण है देश में सम्पत्ति का असमान वितरण , एक और धनी वर्ग धनी होता जा रहा है तथा निर्धन नित्य प्रति निर्धन होता जा रहा है | धनवान तो महलो में सुख भोग रहे है और उनके तो कुत्ते भी दूध पी रहे है दूसरी और निर्धनों के बच्चे रूखे – सूखे टुकडो को तरस रहे है |

दूसरा कारण है देश में जनसंख्या की असाधारण वृद्धि | तीसरा कारण लोगो में राष्ट्रीय भावना की कमी का होना; परिणामत : आए दिन राष्ट्रीय सम्पत्ति का विनाश जिसके पुननिर्माण में धन का अपव्यय | जिसके कारण निर्धनों के हिस्से का पैसा व्यर्थ हो जाता है | चौथा कारण है देश में व्याप्त भ्रष्टाचार | बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी व्यापारी विदेशो में अपने बैक खाते खोलकर विदेशियों का पेट भर रहे है तथा अपने देश को निर्धन बना रहे है |

निर्धन व्यक्ति , अपने बच्चों का पालन पोषण भी ठीक ढंग से नहीं कर पाते । अच्छे स्कूलों में या कॉलेजों में शिक्षा नहीं दिला सकते । निर्धतना ही बच्चों को चोर बनाती है ।

इसे दूर करने के लिए हमे सर्वप्रथम कृषि व कुटीर व अन्य उद्दोगो का विकास करके उत्पादन को बढ़ाना होगा | दूसरा तेजी से बढती हुई जनसंख्या पर अंकुश लगाना होगा | हमे प्रयत्न करना चाहिए कि विदेशी ऋण लेने की बजाय अपने आप को स्वावलम्बी बनाएँ |

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