(ख) 'अरे मूर्ख', यह क्यों नहीं कहता कि जो कुछ न होना था, हो चुका। जो कुछ होना था, वह कहा हुआ?
सेहरा कहाँ देखा? मृणालिनी का कामना-तरु क्या पल्लव और पुष्प से रंजित हो उठा? मन में वह स्वर्ण-स्वप्न, जिनसे
जीवन आनन्द का स्रोत बना हुआ था, क्या पूरे हो गए? जीवन के नृत्यमय तारिका-मण्डित सागर में आमोद की बहार लूटते
हुए क्या उसकी नौका जलमग्न नहीं हो गई? जो न होना था, वह हो गया।'
(i) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) 'यह क्यों नहीं कहता कि जो कुछ न होना था, हो चुका' वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।
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(ख) 'अरे मूर्ख', यह क्यों नहीं कहता कि जो कुछ न होना था, हो चुका। जो कुछ होना था, वह कहा हुआ?
सेहरा कहाँ देखा? मृणालिनी का कामना-तरु क्या पल्लव और पुष्प से रंजित हो उठा? मन में वह स्वर्ण-स्वप्न, जिनसे
जीवन आनन्द का स्रोत बना हुआ था, क्या पूरे हो गए? जीवन के नृत्यमय तारिका-मण्डित सागर में आमोद की बहार लूटते
हुए क्या उसकी नौका जलमग्न नहीं हो गई? जो न होना था, वह हो गया।'
(i) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) 'यह क्यों नहीं कहता कि जो कुछ न होना था, हो चुका' वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।
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