(ख) "अयमय' खाँड़ न अरवमय" का तात्पर्य स्पष्ट कीजिये |
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इसका अर्थ है कि परशुराम जिन योद्धाओं को गुड़ की खांड समझ रहे है वो असल में पर्वत समान है।
परशुराम राम और लक्ष्मण को बहुत तुच्छ समझते है।
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