(ख) बाबा साहेब भीमराव अम्बेदकर के अनुसार जाति प्रथा को स्वाभाविक श्रम
विभाजन क्यों नहीं माना जा सकता?
Answers
Answered by
25
Answer:
जाति-प्रथा को यदि श्रम विभाजन मान लिया जाए, तो यह स्वाभाविक विभाजन नहीं है, क्योंकि यह मनुष्य की रुचि पर आधारित नहीं है। कुशल व्यक्ति या सक्षम-श्रमिक-समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यक्तियों की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें, जिससे वह अपना पेशा या कार्य का चुनाव स्वयं कर सके।
Similar questions