खंबे को क्या अच्छा नहीं लगता था। नाटक पापा खो गए। please tell I will make you brainlist
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khambe ko barsat ke dino me raat ko bhegna ,badlo se anewale pani ki maar khana aur tej hvao me bhi bulb ko kas kar pakadkar ek tang par khade rehna acha nhi lagta tha
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नाटक पापा खो गए
पापा खो गए नाटक लेखक श्री विजय तेंदुलकर जी द्वारा लिखा गया है| नाटक में निर्जीव वस्तुओं की पीड़ा का सजीव चित्रण किया गया है| पाठ के माध्यम से बच्चों के अपहरण जैसे वारदातों को दर्शाया गया है|
खंभे को बरसात की रातें अच्छी नहीं लगती क्योंकि खंभे को बरसात की रात में भीगते हुए, तेज़ हवाओं में भी बल्ब को पकड़कर खड़ा रहना पड़ता था|इसलिए उसे बरसात की रात पसंद नहीं थी।
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