ख) बालगोबिन भगत गृहस्थ थे। फिर भी उन्हें साधु क्यों कहा गया है?
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लेखक ने बाल गोबिन भगत को ग्रहस्थ इसलिए कहा है कि क्योंकि भले ही उनकी आदतें साधु-संतों जैसी थीं, लेकिन वह गृहस्थ धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति थे। अर्थात उनका एक घर परिवार भी था। उनकी एक उनका एक पुत्र था, पुत्रवधु थी। भले ही वह साधु-संतों जैसी आदते रखते थे लेकिन वह गृहस्थ वाला जीवन भी जीते।
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Explanation:
बालगोबिन भगत घर-परिवार वाले आदमी थे। उनके परिवार में उनका बेटा और पतोहू थे। उनके पास खेतीबारी और साफ़ सुथरा मकान था। इसके बाद भी बालगोबिन भगत साधुओं की तरह रहते और साधु की सारी परिभाषाओं पर खरा उतरते थे, इसलिए लेखक ने भगत को गृहस्थ साधु माना है।
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