ख. बादल भैया, जल्दी आओ,
इस सूखे से हमें बचाओ।
किंतु बरसsiska artha
न पड़ना इतना,
बह जाए खेतों का सपना।
गरमी दूर भगाऊँगा मैं,
बच्चों को नहलाऊँगा मैं।
बच्चों का मन रखने को,
इंद्रधनुष बन जाऊँगा मैं।
पहन रबर के जूते-चप्पल,
छाता लेकर निकलेंगे सब।
बच्चे भागेंगे पानी पर,
भीग जाएँगे सबके तन-मन।
बूंदें टपकेंगी धरती पर,
प्यास बुझेगी धरती की।
अन्न उगेगा धरती पर,
भूख मिटेगी हर जन की।
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First mark me as brain least. Than only I will give answer
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