ख)बहुत दिन हुए हमें अपने मन के छंद छुए।' पंक्ति का आशय स्पष्ट काजिए।
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बहुत दिन हो गए हमें अपने मन के छंद हुए हुए
‘भवानी प्रसाद मिश्र’ द्वारा रचित “कठपुतली” नामक कविता की इन पंक्तियों का आशय मन की व्यथा से है। कठपुतली अपने मन की व्यथा को व्यक्त करते हुए कहती हैं कि वह पूरे जीवन हमेशा दूसरों के इशारे पर नाचती रही हैं। अब वह स्वतंत्र होना चाहती हैं अर्थात वह अपने पैरों पर खड़े होकर स्वतंत्र होकर नाचना चाहती हैं। वह धागों के बंधन से मुक्त होकर मुक्त होकर अपनी इच्छा अनुसार जीना चाहती हैं। यहां मन के छंद से तात्पर्य मन की खुशी से है। कठपुतलियां अपने मन की खुशी को महसूस करना चाहती हैं और उनकी खुशी धागों के बंधन में नहीं बल्कि स्वतंत्रता में है।
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'मोट चून मैदा भया' मे निहित अर्थ स्पष्ट कीजिए
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जब बाढ़ आती है तो जल की कोई सीमा नहीं होती, वह विजन
करता है। लेकिन जब उसी जल को कोई बांध नियंत्रित करता है जो
वह जनकल्याण के लिए जलविद्युत उत्पादन गृह में या सिंचाई हेत
प्रयोग किया जा सकता है। यदि हम इस जल की तुलना मन से करें तो
कौनसा विकल्प सही है? (गीता-6.6)
क, अनियंत्रित मन बाढ़ के जल के समान है, वह विध्वंस का कारण बनता है तथा
स्वयं व दूसरों को परेशान करता हैं।
ग. नियंत्रित मन एक बांध के समान जिसका उपयोग जनकल्याण हेत किया जा सकता है।
ख. नियंत्रित मन हमारा मित्र है तथा अनियंत्रित मन हमाराशत्रु है।
घ. उपर्युक्त सभी विकल्प
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○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○
Answer:
Explanation:
Ala sabji lelo ji
Samosa lelo
Bhelpuri...panipuri
Lalo
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