'खिंच गई गंध की लकीर-सी' द्वारा कवि क्या कहना चाहते हैं ?
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क. खिंच गई गंध की लकीर सी-वारा कवि क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर- इस पंक्ति से कवि का यह तात्पर्य है कि वसंत ऋतु में जब कवि ने अपने चारों ओर रंग-बिरंगे फूलों को देखा और उनकी सुगंध को उसने अनुभूत कियाँ उसे ऐसा लगा कि जैसे सुगंध की एक लकीर जैसी उसके प्राणों तक खिंच गई हो।
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प्र →'खिंच गई गंध की लकीर-सी' द्वारा कवि क्या कहना चाहते हैं ?
उत्तर- नन्हे फूल ने कवि से कहा सुनो हमने इस ऋतु की धन्यता मिलकर रची है । ... लिखित प्रश्न खींच गई गंध की लकीर सी द्वारा कवि क्या कहना चाहते हैं ? उत्तर -फूलों से उठी सुगंध कवि के नधुने से होती हुई भीतर मन तक फैल गई ऐसा लगा जैसे सुगंध किसी रेखा के सहारे मन में उतर गई हो।
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