खींच दो अपने खून से जमीन पर लकीर इस तरफ आने पाए ना रावण कोई मीनिंग
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खींच दो अपने खून से जमीन पर लकीर इस तरफ आने पाए ना रावण कोई मीनिंग
यह पंक्ति कर चले हम फिदा कविता की है | यह कविता कवि कैफ़ी आज़मी द्वारा लिखी गई है| कविता में कवि एक वीर सैनिक का अपने देशवासियों को दिए आखिरी सन्देश का वर्णन कर रहा है। कविता में सैनिक देशवासियों को देश के लिए बलिदान करने के लिए तैयार रहने को कहते हैं।
खींच दो अपने खून से जमीन पर लकीर इस तरफ आने पाए ना रावण का अर्थ यह है पंक्ति में सैनिकों को कहते है खींच दो अपने खून से जमीन पर लकीर की कोई भी दुश्मन हमारी भारत माता धरती में आ ना सके| पंक्ति में दुश्मन की तुलना रावण से की गई है| रावण की तरह कोई दुश्मन हमारी भारत माता को हाथ न लगा सके| हमें अपने भारत देश में दुश्मनों को आने से रोकना है| दुश्मनों को रोकने के लिए तुम्हें भी लक्ष्मण की तरह तुम्हें खून से लक्ष्मण रेखा खींचनी जमीन पर लकीर खींचनी है कि कोई भी बहार वाला हमारे देशं में अंदर न आ सके|
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"राह कुर्बानियों की न वीरान हो
। तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
जिंदगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो"
Answer:
यह पंक्ति कर चले हम फिदा कविता की है | यह कविता कवि कैफ़ी आज़मी द्वारा लिखी गई है| कविता में कवि एक वीर सैनिक का अपने देशवासियों को दिए आखिरी सन्देश का वर्णन कर रहा है। कविता में सैनिक देशवासियों को देश के लिए बलिदान करने के लिए तैयार रहने को कहते हैं।