खंड-ग
7. अच्छी संगति के बारे में समझाते हुए मां और बेटे के बीच में वार्तालाप को मुहावरेदार आपा में है।
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Explanation :
संवाद-
माँ- बेटा पढ़ाई कैसी चल रही।
बेटी- माँ, क्या आप हर वक्त पढ़ाई की बात करती रहती है। देख नहीं रही कि मैं व्यस्त हूं काम में।
माँ- अरे.. सब ठीक तो है न बेटा तुम ऐसे क्यों बात कर रही हो मुझसे। मैं जहां तक अपनी लाडो को जानती हूं वह मुझसे ऊंची आवाज में बात नहीं करती बोल ना।
बेटी- माँ आप सही बोलते थे नेहा अच्छी नहीं है। मां उसकी वजह से मैं परिक्षा मेें फेल हो गई।
माँ- क्या? फेल कैसे?
बेटी- माँ उसने मेरे सीट पर चीट पेपर रख दिया और मुझे पकड़वा दिया। फिर टीचर ने मार्क्स काट दिए।
माँ- तू रो मत। पर उसने ऐसा क्यों किया?
बेटी- माँ मैंने उसे चोरी करते हुए उसके घर पर देखा था, उसे मना कर रही थी तब आंटी ने उसे मेरे सामने डांटा था और उसकी तुलना मुझसे की थी। इसलिए माँ उसने मुझसे बदला लिया।
माँ- देखा बुरी संगति का असर।अच्छे लोग कभी बदला नहीं लेते। बुरे लोग अच्छे कभी नहीं बन सकते उनको अच्छा करने से वह आपके गलत समझेगे नेहा की तरह।
बेटी- हां, मां आप चिंता मत करो टीचर ने फिर से परिक्षा लेने का फैसला लिया है क्योंकि मैंने सच टीचर को बोल दिया है और उसे स्कूल से निकाल दिया गया है। मैं, वादा करती हूं मां मैं आपकी हर बात मानूंगी और नेहा जैसे लोगों से हमेशा दूर रहूंगी।
माँ- मेरी लाडो।
बेटी- लव यूं मां।
माँ- लव यूं बेटा।