Social Sciences, asked by rumakmrajmahal, 9 months ago

खंड क
1. (क) दैनिक जीवन में पर्यावरण के महत्त्व को उदाहरण सहित 120 शब्दों में वर्णन कीजिए।
(ख) सतत् विकास एक लक्ष्य जिसकी प्राप्ति के लिए सभी मानव समाजों को प्रयत्नशील रहना
चाहिए। इस कथन को 120 शब्दों में स्पष्ट कीजिए।​

Answers

Answered by charlichaplin8497
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Answer:

(क)

हम वास्तव में पर्यावरण के वास्तविक मूल्य को नहीं समझते हैं। लेकिन हम इसके कुछ महत्व का अनुमान लगा सकते हैं। जो हमें इसके महत्व को समझने में मदद कर सकते हैं। पर्यावरण में जीवित जीवों को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखता है। जो पृथ्वी पर जीवन को बचाये रखता हैं। यह भोजन, आवास, हवा प्रदान करता है। मानव की सभी जरूरतों को पूरा करता है चाहे वह बड़ा हो या छोटा।

इसके अलावा, मनुष्य का संपूर्ण जीवन पर्यावरणीय कारकों पर पूरी तरह निर्भर करता है। पृथ्वी पर विभिन्न जीवन चक्रों को बनाए रखने में भी मदद करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात, हमारा पर्यावरण प्राकृतिक सौंदर्य का स्रोत है और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है।

लाखों वर्षों से, प्रकृति हमें एक बेहतर जीवन जीने के लिए कपड़े, भोजन, प्रकाश, हवा, झरने और जंगलों तक सब कुछ प्रदान करती है। पारिस्थितिकी तंत्र हमें कृषि और फसलों को उगाने में मदद करता है। हमारे अपशिष्ट उत्पादों को कृषि के लिए खाद के रूप में अवशोषित और विघटित किया गया था।

पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में पर्यावरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पृथ्वी विभिन्न जीवित प्रजातियों का घर है और हम सभी भोजन, हवा, पानी और अन्य जरूरतों के लिए पर्यावरण पर निर्भर हैं। इसलिए हम सभी का यह कर्तव्य है की पर्यावरण की रक्षा करे है।

(ख)

सतत विकास से हमारा अभिप्राय ऐसे विकास से है, जो हमारी भावी पीढ़ियों की अपनी जरूरतें पूरी करने की योग्यता को प्रभावित किए बिना वर्तमान समय की आवश्यकताएं पूरी करे। भारतीयों के लिए पर्यावरण संरक्षण, जो सतत विकास का अभिन्न अंग है, कोई नई अवधारणा नहीं है। भारत में प्रकृति और वन्यजीवों का संरक्षण अगाध आस्था की बात है, जो हमारे दैनिक जीवन में प्रतिबिंबित होता है और पौराणिक गाथाओं, लोककथाओं, धर्मों, कलाओं और संस्कृति में वर्णित है ।

सतत विकास लक्ष्यों को विकास नीतियों में शामिल करने के लिए हम अनेक मोर्चों पर कार्य कर रहे हैं, ताकि पर्यावरण और हमारी पृथ्वी के अनुकूल एक बेहतर जीवन जीने की हमारे देशवासियों की वैध इच्छाओं को पूरा किया जा सके। केंद्र सरकार ने सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन पर निगरानी रखने तथा इसके समन्वय की जिम्मेदारी नीति आयोग को सौंपी है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को संबंधित राष्ट्रीय संकेतक तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद द्वारा प्रस्तावित संकेतकों की वैश्विक सूची से उन संकेतकों की पहचान करना, जो हमारे राष्ट्रीय संकेतक ढांचे के लिए अपनाए जा सकते हैं, वास्तव में एक मील का पत्थर है।

भारत सरकार द्वारा, न्यूयार्क में जुलाई, 2017 में आयोजित होने वाले उच्च स्तरीय राजनीतिक मंच (एचएलपीएफ) पर अपनी पहली स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा (वीएनआर) प्रस्तुत करने हेतु लिया गया निर्णय इसका उदाहरण है कि भारत सतत विकास लक्ष्यों के सफल कार्यान्वयन को कितना महत्व दे रहा है। पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए संपूर्ण विकास हेतु लोगों की आकांक्षाएं पूरी करने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य तथा स्थानीय स्तर पर प्रत्येक व्यक्ति और संस्था द्वारा और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

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