Hindi, asked by chinmay00kulkarni, 7 months ago

खंड – क (अपठित अंश)

Q.1) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।

भारतीय सभ्यता और संस्कृति में नदियों का खास महत्व रहा है य एक अच्छी सभ्यता से समाज विकसित होता है और वह कुछ सिद्धांत निर्मित करते हैं । जीवन के सिद्धांतों में अहम होते हैं- प्रकृति से उसका लेना-देना, पंचतत्वों से उसका रिश्ता । ये सब मिलकर हमारी संस्कृति का निर्धारण करते हैं । हमारी सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ है । हमारी संस्कृति इन्हीं किनारों पर फली-फूली हैं । इसलिए हम इसे ‘गंगा की सभ्यता’ कहते हैं । इसलिए हम खुद को ‘गंगा-जमुना संस्कृति’ से जोड़ते हैं । देखा जाए, तो नदी किनारे रहने वाला समाज के, जन्म से मरण तक, जो भी संस्कार होते थे, उससे संस्कृति का निर्माण होता था । इसलिए नदियों का मानव सभ्यता के विकास में अमिट प्रभाव है । इसके बिना सभ्यता और संस्कृति की कल्पना ही नहीं की जा सकती है । भारत में नीर, नारी और नदी, तीनों का गहरा संबंध और सम्मान था । इन तीनों को हमारे ऋषि-मुनियों ने पोषक माना है । इसलिए नारी और नदी को माँ का दर्जा दिया गया है, और नीर, यानी जल को जन्म से ही जोड़कर देखा जाता है । भारतीय संस्कृति में भी पोषण करने वालों को ‘माँ’ और शोषण करने वालों को ‘राक्षस’ कहा गया है । देवता और दानव के बीच अंतर की यह सोच, जो अनादिकाल से चली आ रही है, यहीं से आई है । दरअसल, नदियों के किनारे, नदियों के साथ, जो जैसा व्यवहार करता था, उसी() के आधार पर उसे देवता या दानव, मनुष्य बोलने लगते थे । अगर इनसान भी नदियों को पवित्र रखने का काम करता था, तो उसे ‘देवता’, कहा जाता था और अगर उसने उसको गंदा करने का काम किया, तो उसे ‘दानव’, यानी राक्षस माना जाता । यह धारणा भी बलवती है कि राक्षसों के राक्षसीपन को रोकने के लिए उस काल के विद्वान, राजा और जन-सामान्य नदियों की गंदगी और पवित्रता को बनाए रखने हेतु वैचारिक मंथन किया करते थे । इनसान ने इसे अपनी बोली-भाषा में ‘कुंभ’ कहा । यह कुंभ नदियों के साथ सच्चाई और बुराई के साथ नियम और नीति का निर्धारण करता था । इस कुंभ, कुंभ मेला या कुंभ स्नान का स्थान इतना सर्वोपरि था । लेकिन आज यह कुंभ एक स्नान भर बनकर रह गया है ।

(i) भारतीय सभ्यता को गंगा-जमुना सभ्यता से क्यों जोड़ते हैं? (2 marks)

(ii) हमारी संस्कृति का निर्धारण कौन करते हैं? (2 marks)

(iii) सभ्यता और संस्कृति की कल्पना किसके बिना नहीं की जाती है? (2 marks)

(iv) मनुष्य को देवता या राक्षस कैसे माना जाता था? (2 marks)

(v) कुंभ क्या निर्धारण करता था? (1 mark)

(vi) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक लिखिए । (1 mark)

Answers

Answered by shishir303
0

(i) भारतीय सभ्यता को गंगा-जमुना सभ्यता से क्यों जोड़ते हैं?

► भारतीय सभ्यता को गंगा-जमुना सभ्यता से इसलिये जोड़ते हैं क्योंकि भारतीय सभ्यता का विकास इन्हीं नदियों के किनारे आस-पास हुई।

(ii) हमारी संस्कृति का निर्धारण कौन करते हैं?

► हमारी संस्कृति का निर्धारण हमारे सिद्धांत करते हैं, जिनका हमारी प्रकृति से रिश्ता होता है।

(iii) सभ्यता और संस्कृति की कल्पना किसके बिना नहीं की जाती है?

सभ्यता और संस्कृति की कल्पना नदियों के बिना नहीं की जा सकती है।

(iv) मनुष्य को देवता या राक्षस कैसे माना जाता था?

►जो मनुष्य नदियों की रक्षा और संरक्षण करता था, वो देवता माना जाता था, और जो नदियों को गंदा और दूषित करता था, वो राक्षस माना जाता रहा था।

(v) कुंभ क्या निर्धारण करता था?

►कुंभ नदियों के साथ सच्चाई और बुराई के साथ नियम और नीति का निर्धारण करता था।

(vi) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक लिखिए ।

जीवनदायी नदियां।

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Answered by RohanMATHEMATICIAN
1

Answer:

nahi pata Bhai

maaf Karna

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