Hindi, asked by sandeep12052003, 4 months ago

खंड-क (अपठित गद्योग)
प्रश्न-1 निनलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्रों के उत्तर दीजिए।
शिक्षा और गुरु के माध्यम से ही अपने आंतरिक गुणों को हम प्रकाश में लाते हैं। यदि धर्म के मार्ग पर चलकर मना दिशा
बनता है। तो वह अपने जीवन के मार्ग के विकास के लिए अनवरत लगकर जीवन को सफल बनाता है और सम्यक ज्ञान
,
गुण, धर्म से अपने जीवन को ब्रह्म से जोड़कर करोड़ो जन्मों के कमी से मुक्ति प्राप्त करता है, किन्तु यह शिया के द्वारा ही
संभव है। शिक्षा भी दो माध्यमों से मिलती है। एक जीविकोपार्जन का माध्यम बनती है तथा दूसरी महोदन साना संभव
होती है। दोनों में परिपूर्णता गुरु के माध्यम से ही होती है। जीविकोपार्डन की शिक्षा पाकर यह संसार बढ़ा सुसमय प्रतीत
होता है और जलते हुए दीपक के प्रकाश जैसा वह बाहरी जीवन में प्रकाश पाता है। दूसरी शिक्षा पाने के लिए सदगुरु की
तलाश होती है। वह सदगुरु कहीं भी कोई भी हो सकता है, जैसे तुलसीदास की सदी गुरु उनकी पछी थी, जिनकी प्रत्या
से उनके अंतर्मन में प्रकाश भर गया और सारे विकार धुल गए। मन स्वच्छ हो गया। अपने दुर्लभ जीवन को सफल बनाकर
हमेशा-हमेशा के लिए सुखद जीवन जिए। ऐसे ही ब्रह्म ज्ञान व आत्मनिरूपण की सच्ची शिक्षा के बिना सार्थक जीवन नही
मिलता। सच्चा ज्ञान मुक्ति का मार्ग है।
) हम अपने आन्तरिक गुणों को कैसे प्रकाश में लाते हैं।
व्यक्ति करोड़ों जन्मों के कर्मों से कैसे मुक्ति पाता है?
in) शिक्षा किन-किन माध्यमों से मिलती है?
M) तुलसीदास पर उनकी सच्ची गुरु का क्या प्रभाव पड़ा?
) जीविकोपार्जन की शिक्षा से मनुष्य को क्या प्राप्त होता है?​

Answers

Answered by sanjeevrajnimoria
2

Answer:

खंड-क (अपठित गद्योग)

प्रश्न-1 निनलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्रों के उत्तर दीजिए।

शिक्षा और गुरु के माध्यम से ही अपने आंतरिक गुणों को हम प्रकाश में लाते हैं। यदि धर्म के मार्ग पर चलकर मना दिशा

बनता है। तो वह अपने जीवन के मार्ग के विकास के लिए अनवरत लगकर जीवन को सफल बनाता है और सम्यक ज्ञान

,

गुण, धर्म से अपने जीवन को ब्रह्म से जोड़कर करोड़ो जन्मों के कमी से मुक्ति प्राप्त करता है, किन्तु यह शिया के द्वारा ही

संभव है। शिक्षा भी दो माध्यमों से मिलती है। एक जीविकोपार्जन का माध्यम बनती है तथा दूसरी महोदन साना संभव

होती है। दोनों में परिपूर्णता गुरु के माध्यम से ही होती है। जीविकोपार्डन की शिक्षा पाकर यह संसार बढ़ा सुसमय प्रतीत

होता है और जलते हुए दीपक के प्रकाश जैसा वह बाहरी जीवन में प्रकाश पाता है। दूसरी शिक्षा पाने के लिए सदगुरु की

Answered by benlovers687
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Answer:

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